कुसुमाकर
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कुसुमाकर संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. वसंत ।
२. छप्पय का एक भेद जिसमें ६ गुरु और १४० लघु अर्थात् कुल १४६ वर्ण या १५२ मात्राएँ अथवा ६ गुरु, २३६ लघु, कुल १४२ वर्ण या १४८ मात्राएँ होती हैं ।
३. बाग । बगीचा । वाटिका । उ॰—अरु फूलि रहे कुसुमाकर मैंसू कहू पहचान की बास नहीं ।— घनानंद, पृ॰, ९६ ।