कोस

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कोस ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ क्रोश] दूरी की एक नाप जो प्राचीन काल में ४००० हाथ, या किसी किसी के मत से ८००० हाथ का होती थी । आजकल कोस प्रायः दो मील का माना जाता है । मुहा॰—कोसों या काले कोसों=बहुत दूर । कासों दूर रहना= अलग रहना । बहुत बचना । कोसों भागना=दे॰ कोसों दूर रहना' ।

कोस ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ कोश] फूल का संपुट । फूल के भीतर का वह स्थान जहाँ मकरंद रहता है । उ॰—कँवल प्रवेश भँवर जो किया । कोस झकोर सकल रस लिया ।—माधवानल॰, पृ॰ १९८ ।