क्रौंच

विक्षनरी से

हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

क्रौंच संज्ञा पुं॰ [सं॰ क्रोन्च्च]

१. कराँकुल नामक पक्षी ।

२. हिमालय के अंतर्गत एक पर्वत का नाम जो पुराणानुसार मैनाक का पुत्र है ।

३. पुराणानुसार सात द्विपो में से एक । विशेष—विष्णु पुराण के अनुसार यह द्विप दधिमंडोद समुद्र से घिरा हुआ है और द्दतिमान् नामक राजा यहाँ अधिपति था । पर भागवत के अनुसार यह क्षीरसागर से घिरा हुआ है और प्रियव्रत का पुत्र धृतपृष्ठ इसका राजा था । इस द्विप के सात खंड या वर्ष है और प्रत्येक वर्ष में एक नदी और एक पहाड़ है ।

४. एक राक्षस का नाम जो मय दानव का पुत्र था और जिसे क्रौंच द्विप में स्कंद भगवान् ने मारा था । यौ॰—क्रौचदारण, क्रौचरिपु, क्रौंचशत्रु, क्रौंचसुदन=(१) कार्तिकेय । (२) परशुराम ।

५. अर्हतों की एक ध्वजा ।

६. एक प्रकार का अस्त्र । उ॰—अग्नि अस्त्र अरु पर्वतास्त्र पुनि त्यों पवनास्त्र प्रमाथी । शिर अस्त्र क्रौंच अस्त्रहु पुनि लेहु लषण के साथी—रघुराज (शब्द॰) ।

७. एकवर्ण वृत्त का नाम जिसके प्रत्येक चरण में भगण, मगण सगण, भगण, चार नगण अंत में एक गुरु (ऽ।। ऽऽऽ ।।ऽ ऽ।। ।।। ।।। ।।। ।।। ऽ) होता है । जैसे—भुमि सुभौना चौगुन राजै बसति सुमतियुत जहँ नर अरु ती । शील सनेहा और नय विद्या लखि तिन कर मन हरषत धरुती । पुत जहाँ है मानत माता जनकसहित नित अरचन करि कै । नारि सुशीला क्रौंच समाना पति बचननि सुन तिउ तन धरि कै ।