क्षणभङ्ग

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

क्षणभंग संज्ञा पुं॰ [सं॰ क्षणभग्ङ] एक बौद्ध सिद्धांत जिसमें वस्तुओं की स्थिति एक क्षण की मानी गई है । इसे क्षणिकवाद भी कहते हैं । विशेष—दे॰ 'क्षणिकवाद' । यौ॰—क्षणर्भगवाद = क्षणिकवाद (बौद्ध) ।

क्षणभंग ^२पु वि॰ [सं॰ क्षभग्ङुर] क्षण भर में नष्ट होनेवाला । अनित्य । नाशवान् । उ॰—समर मरन पुनि सुरसरि तीर । राम काज क्षणभंगु शरीरा ।—तुलसी (शब्द॰) ।