खंडमेरु

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

खंडमेरु संज्ञा पुं॰ [सं॰ खण्डमेरु] पिंगल की वह रीति जिसके द्वारा मेरु या एकावली मेरु के बनाए बिना ही मेरु का नाम निकल जाता है ।