खण्डकथा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

खंडकथा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ खण्डकथा] कथा का एक भेद । लघु कथा । छोटी कथा । विशेष—इसमें मंत्री अथवा ब्राह्मण नायक होता है और चार प्रकार का विरह रहता है । इसमें करुण रस प्रधान होता है । कथा समाप्त होने के पहले ही इसका ग्रंथ समाप्त हो जाता है ।

२. उपन्यास का एक भेद । विशेष—इसके प्रत्येक खंड में एक एक पुरी कहानी होती है और इसकी किसी एक कहानी का दूसरी कहानी के साथ कोई संबंध नहीं होता । इसके दो भेद हैं, सजात्य और वैजात्य । जिसमें सब कथाओं का आरंभ और अंत एक समान होता है, वह सजात्य कहलाती है । और जिसकी कथाएँ कई ढंग की होती है, उसे बैजात्य कहते हैं ।