खिचड़ी

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खिचड़ी

हिन्दी[सम्पादन]

उच्चारण[सम्पादन]

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प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

खिचड़ी ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ कृसर]

१. एक में मिलाया या मिलाकर पकाया हुआ दाल और चावल । क्रि॰ प्र॰—उतारना ।—चढ़ाना ।—डालना ।—भूतना ।— पकाना । मुहा॰—पकना पकना = गुप्त भाव से कोई सलाह होना । ढाई चावल की खिचड़ी अलग पकना = सब की समति के विरुद्ध कोई कार्य होना । बहुपत के विपरीत कोई काम होना । ढाई चावल की खिचड़ी अलग पकाना = सब की संमति के विरुद्ध कोई कार्य करना । बहुमत के विरुद्ध कोई काम करना । खइचड़ी खाते पहुँचा उतारना = अत्यंत कोमल होना । बहुत नाजुक होना । खिचड़ी छुवाना = नववधू से पहले पहल भोजन बनवाला ।

२. विवाह की एक रसम जिसे 'भात' भी कहते है । मुहा॰—खिचड़ी खइलाना = वह और बरातियों को (कन्या पक्ष वालों का) कच्ची रसोई खिलाना ।

३. एक ही में मिले हुए दो या अधिक प्रकार के पदार्थ । जैसे,— सफेद औऱ काले बाल, या रुपए और अशरिफिआँ; अथव ा जौहरियों की भाषा में एक ही में मिले हुए अनेक प्रकार के जवाहिरात ।

४. मकर संक्रांति । इस दिन खिचड़ी दान की जाती है । यौ॰—खिचड़ी खिचड़वार ।

५. बेरी का फूल । क्रि॰ प्र॰—आना । वह पेशगी धन जो वेश्या आदि को नाच ठीक करने के समय दिया जाता है । बयाना । साई ।