गदहा

विक्षनरी से
गदहा

हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

गदहा ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰] रोग हरनेवाल; वैद्य । चिकित्सक ।

गदहा ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ गर्दभ, प्रा॰ गदवह] [स्त्री॰ गदही]

१. घोड़े के आकार का पर उससे कुछ छोटा एक पसिद्ध चौपाया जो प्रायः मटमैले रंग का और दो हाथ ऊँचा होता है । गधा । गर्दभ । खर । विशेष—इसका कान और सिर अपेक्षाकृत बड़ा होता है और पैर छोटे और बहुत मजबूत होते हैं; कारण यह ऊँची या ढालुआँ जमीन पर बड़ी सरलता से चल सकता है । यह बहुत मजबूत होता है और बहुत अधिक बोझ उठा सकता है । इस देश में इससे प्रायः धोबी, कुम्हार आदि अधिक काम लेते हैं । जंगली गदहे, जो प्रायः मध्य एशिया और फारस आदि में झुंड बाँधकर रहते है, अधिक चपल होते हैं, पर पालतू गदहे बोदे होते हैं । किसी किसी देश के गदहे सफेद रंग के या घोड़ े से बडे़ भी होते हैं । फारस में गदहे का शिकार किया जाता है और लोग उसका मांस बड़ी रुचि से खाते हैं । इसकी अवस्था प्रायः २० से २५ वर्ष तक की होती है । युरोप आदि दैशों में इनके चमड़े के जूते और थैले आदि बनते हैं । घोड़ी के साथ गदहे का अथवा गदही के साथ घोड़े का संयोग होने से खच्चर की उत्पत्ति होती है । वैद्यक के अनुसार इसका मांस कुछ भारी और बलप्रद होता है और इसका मूत्र कडुआ गरम और कफ; महावात, विष तथा उन्माद का नाशक और दीपक माना गया है । पर्या॰—चक्रीवान । बालेय । रासभ । खर । शंककर्ण । धूसर । भारग । वेशव । शीतलावाहन । वैशाखनंदन । यौ॰—गदहलोटन । गदहहेंचू । मुहा॰—गदहे पर चढ़ना = बहुत बेइज्जत या बदनाम करना । गदहे का हल चलना = बिलकुल उजड़ जाना । बरबाद हो जाना । जैसे, वहाँ कुछ दिनों में गदहों के हल चलेंगे ।

गदहा ^३ वि॰ मूर्ख । बेवकूफ । नासमझ । यौ॰—गदहपचीसी ।