गर्ग
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]गर्ग संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. एक गोत्रप्रवर्तक वैदिक ऋषि । विशेष—ये आंगिरस भरद्वाज के वंशज थे और ऋग्वेद के छठे मंडल का ४७ वाँ सूक्त इनका रचा हुआ है ।
२. अथर्ववेद के परिशिष्ट के अनुसार एक प्राचीन ज्यौतिषी ।
३. धर्मशास्त्र के प्रवर्तक एक ऋषि ।
४. वितथ्य रजा का एक पुत्र ।
५. नंद के एक पुरोहित का नाम ।
६. बैल । साँड़ ।
७. एक कीड़ा जो पृथिवी में घुसा रहता है । गगोरी ।
८. बिच्छू ।
९. केंचुआ ।
१०. एक पर्वत का नाम ।
११. ब्रह्मा के एक मानसपुत्र का नाम जिसकी सृष्टि गया में यज्ञ के लिये हुई थी ।
१२. संगीत में एक ताल । विशेष—इसमें चार द्रुत मात्राएँ और अंत में एक खाली या विराम होता है ।