गूँजना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

गूँजना क्रि॰ अ॰ [सं॰ गुञ्जन]

१. भौरों या मक्खियों का भिन— भिनाना । भौरों का मधुर ध्वनि करना । गुंजारना । उ॰— फूले बर बसंत बन बस में कहुँ मालती नवेली । तापै मदमाते से मधुकर गूँजत मधुरस रेली ।—हरिश्चंद्र (शब्द॰) ।

२. (किसी स्थान का) प्रतिध्वनित होना । शब्द से व्याप्त होना । जैसे,— बाजे के स्बर से सारा घर गूँज उठा । संयो॰ क्रि॰—उठना ।—जाना ।

३. शब्द का खूब फैलना और देर तक बना रहना । ध्वन ि व्याप्त होना । प्रतिध्वनित होना । जैसे,—यहाँ आवाज खूब गूँजती है ।