गैंड़ा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

गैंड़ा संज्ञा पुं॰ [सं॰ गण्डक] भैंसे के आकार का एक बड़ा पशु जो नदी के किनारे के ऐसे दलदलों और कछारों में रहता है जहाँ जंगल होता है । विशेष—यह जंगली झाड़ियों कि जड़ों और नरम कोपलों को खाता है और प्राय: किचड़ में पड़ा रहता है । यह जिस प्रकार डीलडौल में बड़ा है उसी प्रकार बलवान् भी होता है, पर बिना छेड़े किसी से बोलता नहीं । इसे काटनेवाले कुकुरदंत नहीं होते केवल दाढ़े होती हैं । इसके पैरों में तीन तीन अँगलियाँ होती हैं । इसका चमड़ा बिना बाल का तथा अत्यंत मोटा और ठोस होता है । इसकी नाक की हड्डी बड़ी मजबूत होती है और उसपर एक पैना सींग होता है जौ चमड़े और बालों से दूर तक ढका रहता है । क्रुद्ब होने पर यह इसी से चोट करता है । इसके चमड़े की ढा़लें बनती हैं । इसके थूथन पर सींग का भारतवर्ष में अर्घा बनता है जो पितृ्तर्पण के लिये उत्तम माना जाता है । गंगासागर के पास सुंदर वन में गैड़ै बहुत मिलते हैं ।