गोदना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

गोदना ^१ क्रि॰ स॰ [हिं॰ खोदना + गड़ाना]

१. किसी नुकीली चीज को भीतर चुभाना । गड़ाना ।

२. किसी कार्य के लिये बार बार जोर देना । कोई काम करने के लिये बार बार जोर देना । कोई काम कराने के लिये पीछे पड़ना ।

३. छेड छाड़ करना । चुभती या लगती हुई बात कहना । ताना देना ।

४. हाथी को अंकुस देना । †

५. गोड़ना ।

६. भद्दी लिखाई लिखना ।

गोदना ^२ संज्ञा पुं॰

१. तिल के आकार का एक विशेष प्रकार का काला चिह्न जो कंजड़ या नट जाति की स्त्रियाँ लोगों के शरीर में नील कोयले के पानी में डूबी हुई सूइयों से पाछकर बनाती हैं । इसमें पहले दो एक रोज तक पीड़ा होती है पर पीछे वह चिह्न स्थायी हो जाता है । विशेष—भारत में अनेक जाति की स्त्रियाँ गाल, ठोढ़ी, कलाई तथा अन्य अंगों पर सुंदरता के लिये इस प्रकार के चिह्न बनवाती हैं । बिहार प्रांत की स्त्रियाँ तो अपने शरीर पर इस क्रिया से बेल बूटों तक के चिह्न बनवाती हैं । क्रि॰ प्र॰—गोदना ।—गोदाना ।

२. वह सूई जिसकी सहायता से शीतला रोग से रक्षित रहने के लिये बालकों को टीका लगाते हैं । क्रि॰ प्र॰—लगाना ।

३. वग औजार जिससे खेत गोड़ते हैं ।