गोल

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

गोल ^१ वि॰ [सं॰] जिसका घेरा या परिधि वृत्ताकार हो । चक्र के आकार का । वृत्ताकार । जैसे,—पहिया, अँगूठी, सिक्का इत्यादि । ऐसे धनात्मक आकार का जिसके पृष्ठ का प्रत्येक विंदु उसके भीतर के मध्य विंदु से समान अंतर पर हो । सर्ववर्तुल । अंडाकार । गेंद, नीबू, बेल आदि के आकार का । यौ॰—गोल गोल = (१) स्थूल रूप से । मोटे हिसाब से । (२) अस्पष्ट रूप से । साफ साफ महीं । जैसे,—यों ही गोल गोल समझाकर लह चला गया; साफ खुला नहीं । गोल बात = अस्पष्ट बात । ऐसी बात जिससे अर्थ का कुछ आभास मिले पर वह स्पष्ट न हो । गोलमगोल = दे॰ 'गोल गोल' । गो ल मटोल = (१) दे॰ 'गोल गोल' । (२) मोटा और ढिंगना । नाटा और मोटा । गुलगुथना । (३) ऊँचाई के हिसाब से जिसकी चौड़ाई बहुत अधिक हो गोल । मोल = दे॰ 'गोल गोल' । मुहा॰—गोल होना = (१) चुप हो रहना । मौन हो जाना । (२) गायब होना । बिना जानकारी कराए चल देना ।

गोल ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. मंडलाकार क्षेत्र । वृत्त ।

२. गोलाकार पिंड । गोला । सर्ववर्तुल पिंड । वटक ।

३. गोला यंत्र ।

४. विधवा का जारज पुत्र ।

५. मुर नाम की ओषधि ।

६. मदन नाम का वृक्ष । मैनफल का पेड़ ।

७. एक देश का नाम जिसके अंतर्गत योरप का बहुत सा भाग विशेषतः उत्तरी इटली और फ्रांस, बेलजियम आदि थे । विशेष—यह शब्द रोमन भाषा या लैटिन से हेमचंद्र के परिशिष्ट पर्वण में आया है ।

८. मिट्टी की गोल घड़ा ।

गोल ^३ संज्ञा पुं॰ [फ़ा॰ गोल । सं॰ गोल(= मंडल)] मंडली । झुंड । समूह । मुहा॰—गोल बाँधना = मंडली या झुंड बनाना ।

गोल ^४ संज्ञा पुं॰ [सं॰ गोल (योग)] गड़बड़ । गोलमाल । उपद्रव । खलबली । हलचल । यौ॰—गोलमाल । मुहा॰—गोल पारना या डालना = गड़बड़ मचाना । हलचल मचाना । उ॰—ऊधो सुनत तिहारो बोल । ल्याओ हरि कुशलात धन्य तुम घर घर पारयो गोल ।—सूर (शब्द॰) ।

गोल ^५ संज्ञा पुं॰ [अं॰]

१. हाकी, फुटबाल आदि खेलों में वह स्थान जहाँ गेंद पहुँचा देने से विरोधी पक्ष की जीत हो जाती है ।

२. उक्त प्रकार से होनेवाली जीत । क्रि॰ प्र॰—करना ।—बनाना ।—मारना ।—होना । यौ॰—गोलकीपर—गोल बचाने के लिये नियुक्त खिलाड़ी ।