घट
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]घट ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. घड़ा । जलपात्र । कलसा ।
२. पिंड । शरीर । उ॰—वा घट के सौ टूक दीजै नदीं बहाय । नेह भरेहू पै जिन्हें दौरि रुखाई जाय ।—रसनिधि (शब्द॰) ।
३. मन । हृदय । जैसे,—अंतरयामी घट घट बासी ।
४. कुंभक प्राणायाम (को॰) ।
५. कुंभ राशि ।
६. एक तौल । २० द्रोण की तौल ।
७. हाथी का कुंभ ।
८. किनारा ।
९. नौ प्रकार के द्रव्यों में एक जिसे तुला भी कहते हैं । वि॰ दे॰ 'तुलापरीक्षा' । मुहा॰—घट में बसना या बैठना = (१) हृदय में स्थापित होना । मन में बसना । ध्यान पर चढ़ा रहना । जैसे—जिसके घट में राम बसते हैं, वही कुछ देता है । (२) किसी बात का मन में बैठना । हृदयंगम होना ।
घट ^२ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ घटा] मेघ । बादल । घटा । उ॰—सहनाइ नफेरिय नेक बजं । सु मनों घट भद्दव मास गजं ।—पृ॰ रा॰, २४ ।१८२ ।
घट ^३ वि॰ [हिं॰ घटना] घटा हुआ । कम । थोड़ा । छोटा । मध्यम । उ॰—घट बढ़ रकम बनाई कै सिसुता करी तगीर ।—रसनिधि (शब्द॰) । विशेष—इस शब्द का प्रयोग 'बढ़' के साथ ही अधिकतर होता है । अकेले इसका क्रियावत् प्रयोग 'घटकर' ही होता है । जैसे,—वह कपड़ा इससे कुछ घटकर है ।