घड़चढ़ा
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
घड़चढ़ा संज्ञा पुं॰ [हिं॰ घोडा+चढ़ना]
१. सवार । अश्वारोही ।
२. एक प्रकार का स्वाँग जिसमें एक मनुष्य अपने पेट के सामने घोड़े के मुँह का और पीछे दुम आदि का आकार बनाकर जोड़ता है, जिससे वह देखने में घोड़े पर सवार जान पड़ता है । गाजी मियाँ की सवारी की नकल दिखाकर भीख माँगने के लिये प्रायः डफाली ऐसा स्वाँग बनाते हैं । इसे लिल्ली घोड़ी भी कहते हैं ।