घनाक्षरी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

घनाक्षरी संज्ञा पुं॰ [सं॰] दंडक या मनहर छंद जिसे साधारण लोग कवित्त कहते हैं । विशेष—यह छंद ध्रुपद राग में गाया जा सकता है । १६—१५ के विश्राम से प्रत्येक चरण में ३१ अक्षर होते हैं । अंत में प्राय: गुरु वर्ण होता है । शेष के लिये लघु गुरू का कोई नियम नहीं है ।