घोडी
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]घोडी संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ घोडा] घोडे की मादा ।
२. पायों पर खडी काठ की लबी पटरी जो पानी के घडे रखने, गोटे पट्टे की बुनाई में तार कसने, सेंवई पूरने, सेव बनाने आदि बहुत से कामों में आती है । पाटा ।
३. दूर दूर रखे हुए दो जोडे बाँसों के बीच में बंधी हुई डोरी या अलगनी जिसपर धोबी कपडे सुखाते हैं ।
४. विवाह की वह रीति जिसमें दूल्हा घोडी पर चढकर दुलहिन के घर जाता है । मुहा—घोडी चढना = दूल्हे का बारात कै साथ दुलहिन के घर जाना ।
५. वे गीत जो विवाह में वरपक्ष की ओर से गाए जाते है ।
६. खेल में वह लडका जिसकी पीठ पर दूसरे लडके सवा र होते हैं ।
७. जुलाहों का एक औजार जिसमें दोहरे पायों के बीच में एक डंडा लगा रहता है । विशेष—कपडा बुनते बुनते जब बहुत थोडा रह जाता है, तब वह झुकने लगता है । उसी को ऊँचा करने के लिये यह काम में लाया जाता है ।
८. हाथी दाँत आदि का वह छोटा लंबोतरा टुकडा जो तंबूरे, सारंगी, सितार आदि में तूँबे के ऊपर लगा हूआ होता है और जिस पर से होते हूए उसके तार टिके रहते हैं । जवारी ।