चंग
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
चंग ^१ संज्ञा स्त्री॰ [फा॰]
१. डफ के आकार का एक छोटा बाजा जिसे लावनीवाले बजाया करते हैं । लावनीबाजों का बाजा । उ॰—बजत मृदंग उपंग चंग मिलि भजनन जति तति जास ।—भारतेंदु ग्रं॰, भा॰
२. पृ॰ ४७४ । यौ॰—चंगनवाज = चंग बजानेवाला व्यक्ति ।
२. सितारियों की परिभाषा में सितार का चढ़ा हुआ सुर ।
चंग ^२ संज्ञा पुं॰ [?] गंजीफे के आठ रेगों में से एक रंग ।
चंग ^३ संज्ञा स्त्री॰ [देश॰]
१. एक प्रकार का तिब्बती जौ ।
२. एक प्रकार की जौ की शराब जो भूटान में बनती है ।
चंग ^४ संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] पतंग । गुड्डी । उ॰—रहे राखि सेवा पर भालू । चढ़ी चंगु जनु खैंचि खेलारू ।—तुलसी (शब्द॰) । मुहा॰—चंग चढ़ना या उमहना = बढ़ी चढ़ी बात होना । खूब जोर होना । उ॰—त्यौ पद्माकर दीजै मिलाय क्यों चंग चवाइन की उमही है—पद्माकर (शब्द॰) । चंग पर चढ़ाना = (१) इधर उधर की बातें कहकर किसी को अपने अनुकूल करना । किसी को अभिप्रायसाधन के अनुकूल करना । (२) आसमान पर चढ़ा देना । मिजाज बढ़ा देना ।
चंग ^५ वि॰ [सं॰ चङ्ग]
१. दक्ष । कुशल ।
२. स्वस्थ । तंदुरूस्त ।
३. सुंदर । शोभायुक्त । रम्य । मनोहर । उ॰—लही ललिता बन लोचन चँग । कहौ कहुँ कान्ह जुहे तुम चंग ।—पृ॰ रा॰, २ । ३५७ ।