चटका

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

चटका ^१ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ चट] फुरती । चल्दी । शीघ्रता ।

चटका ^२ क्रि॰ वि॰ फुरती से । जल्दी से । शीघ्रता से । उ॰—प्रभु हौं बड़ी बेर को ठाढ़ो । और पतित तुम जैसे तारे तिनही में लिखि गाढ़ो । जुग जुग यहै विरद चलि आयो टेरि कहत हौं या ते । मरियत लाज पाँच पतितन में होय कहाँ चटका ते । कै प्रभु हार मानि के बेठहु कै करो विरद सही । सूर पति ते जो झूठ कहतु है देखौ खोजि बही ।—सूर (शब्द॰) । यौ—चटका चटकी = बात की बात में । आनन फानन । तत्काल ।

चटका ^३ संज्ञा पुं॰ [देश॰] चने का वह हरा ढोढ़ दिलमें अच्छी तरह दाने न पडे़ हों । पपटा ।

चटका ^४ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ चित्र, हिं॰ चित्ती,चट्टा] दाग । धब्बा । चकत्ता ।

चटका ^५ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ चाट]

१. चरपरा स्वाद । चटकारा ।

२. चसका ।

चटका ^६ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ चटकना ]

१. चटकने की क्रिया या भाव ।

२. उच्चाटन की क्रिया या भाव ।

३. तमाचा । थप्पड़ ।

४. अनबन । मनमुटाव ।

५. बिगड़ना । क्रुद्ध होना । यौ॰—चटका चटकी = लड़ाई झगड़ा । कहा सुनी । तकरार ।

चटका ^७ संज्ञा स्त्री॰ [अनुध्व॰] दे॰ 'चुटकी' । उ॰—दौडे ऊमर चटका देती छित जिम बादल छाटा ।—रघु॰ रू॰, पृ॰ १६ । क्रि॰ प्र॰—देना = चुटकी बजाना ।