चित्तविक्षेप

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

चित्तविक्षेप संज्ञा पुं॰ [सं॰] चित्त की चंचलता या अस्थिरता जो योग में बाधक है । विशेष—इसके नौ भेद हैं—व्याधि, स्त्यान (अकर्मण्यता), संशय, प्रमाद (त्रुटि), आलस्य, अविरति (वैराग्य का अभाव), भ्रांतिदर्शन (मिथ्या अनुभव), अलब्धभूमिकत्व ( समाधि की अप्राप्ति), और अनवस्थित्व ( चित्त का न टिकना ) ।