चिरायता

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

चिरायता संज्ञा पुं॰ [सं॰चिरतिक्त या चिरात्] दो ढाई हाथ ऊँचा एक पौधा जो हिमालय के किनारे कम ठंडे स्थानों में काश्मीर से भूटान तक होता है । खसिया की पहाड़ियों पर भी यह पौधा मिलता है । विशेष—इसकी पत्तियाँ छोटी छोटी और तुलसी की पत्तियों के बराबर होती है । जाडे़ के दिनों में इसके फूल लगते हैं । सूखा पौधा (जड़, डंठल, फूल, सब) औषध के काम में आता है । फूल लगने के समय पौधा उखाडा़ जाता है और दबाकर बाहर भेजा जाता है । नैपाल के मोरंग नामक स्थान से चिरायता बहुत आता है । चिरायते का सर्वाग कड़वा होता है; इसी से यह ज्वर में बहुत दिया जाता है । वैद्यक में यह दस्तावर, शीतल तथा ज्वर, कफ, पित्त, सूजन, सन्निपात, खुजली, कोढ़ आदि को दूर करनेवाला माना जाता है । इसकी गणना रक्तशोधक औषधियों में है । डाक्टरी में भी इसका व्यवहार होता है । चिरायते की बहुत सी जातियाँ होती है । एक प्रकार का छोटा चिरायता दक्षिण में बहुत है । एक चिरायता कल्पनाथ के नाम से प्रसिद्ध है जो सबसे अधिक कड़ुआ होता है । गीमा नाम का एक पौधा भी चिरायते ही की जाति का है जो सारे भारत में जलाशयों के किनारे होता है । दक्षिण देश के वैद्य और हकीम हिमालय के चिरायते की अपेक्षा शिलारस या शिलाजीत नाम का चिरायता अधिक काम में लाते हैं जो मदरास प्रांत के कई स्थानों में होता है । पर्या॰—भूनिंब । अनार्यतिक्त । कैरात । कांडतिक्तक । किरातक । किरातिक्त । चिरतिक्त । रामसेवक । सुतिक्तक । चिराटिका । काटुतिक्ता ।