चिल्ला

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

चिल्ला ^१ संज्ञा पुं॰ [फा़॰]

१. चालीस दिन का समय । यौ॰—चिल्ले का जाडा़= बहुत कडी़ सरदी । विशेष—धन के पंद्रह, मकर पचीस । जाडा़ जानो दिन चालीस । इन्हीं चालीस दिनों के जाडे़ को चिल्ले का जाडा़ कहते हैं ।

२. चालीस दिन का व्रत । चालीस दिन का बंधेज या किसी पुण्यकार्य का नियम (मुसल॰) । क्रि प्र॰—खींचना ।

चिल्ला ^२ संज्ञा पुं॰ [देश॰]

१. एक जंगली पेड़ ।

२. उर्द, मूँग या रौंदे के मैदे की परौंठी या घी चुपड़कर सेंकी हुई रोटी । चीला । उलटा ।

चिल्ला ^३ संज्ञा पुं॰ [फा़॰ चिल्लह्] धनुष की डोरी । पतंचिका । उ॰— कई प्रकार के गुण जानती थी जिनमें से धनुष का चिल्ला बनाना, चौगान खेलना, तीर चलाना, और कई बाजे बजाना था । —हुमायूँ॰, पृ॰ ४८ । क्रि॰ प्र॰—चढा़ना । उतारना ।

चिल्ला ^४ संज्ञा पुं॰ [देश॰] पगडी़ का छोर जिसमें कलाबतून का काम बना रहता है । तिल्ला ।

चिल्ला ^५ संज्ञा पुं॰ [फा़॰] मुसलिम विचारों के अनुसार एक साधना जिससे द्वारा अस्वाभाविक शक्ति वश में की जाती है ।