चूर

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

चूर संज्ञा पुं॰ [सं॰ चूर्ण]

१. किसी पदार्थ के बहुत छोटे छोटे टुकडे जो उस पदार्थ को खूब तोड़ने, कूटने आदि से बनते हैं । मूहा॰— चूर करना या चूर चूर करना = किसी पदार्थ को तोड़ फोड़ कर उसके बहुत महीन कण जो इस पदार्थ को रेती से रेतने अथवा आही से चीरने आदि से निकलते हैं । बुरादा । भूर । यौ॰— चूरचार = बहुत छोटा या बारीक टुकड़ा ।

चूर ^२ वि॰

१. (किसी कार्य आदि में) तन्मय । निमग्न । तल्लीन । जैसे— काम में चूर, शेखी में चूर ।

२. जिसपर नशे का बहुत अधिक प्रभाव हो । नशे में बहुत मदमस्त । जैसे, — भाँग में चूर, शराब में चूर, गाँजे में चूर ।

चूर ^३ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ चूल] दे॰ 'चूल ^३' ।