चोल
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]चोल ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. एक प्राचीन देश का नाम । विशेष—इसका विस्तार मदरास प्रांत के वर्तमान कोयंबतूर, त्रिचनापल्ली और तंजौर आदि से मैसूर के आधे दक्षिणी भाग तक था । रामायण और महाभारत आदि में इस देश का जिक्र आया है ।
२. उक्त देश का निवासी ।
३. स्त्रियों के पहनने की एक प्रकार की अँगिया । चोली ।
४. कुरते के ढंग का एक प्रकार का बहुत लंबा पहनावा जिसे चोला कहते हैं ।
५. मजीठ ।
६. छाल । वल्कल ।
७. कवच । जिरह बकतर ।
चोल ^२ वि॰ मजीठ का रंग । लाल (रंग) । उ॰—ढोला ढीली हर मुझ, दीठउ घणो जमेह । चोल बरन्न कप्पडे़, सावर धन आमेह । —ढोला॰, दू॰ १३९ ।