छिदरा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

छिदरा ^१ वि॰ [सं॰ छिद्र] [वि॰ स्त्री॰ छिदरी]

१. छितराया हुआ । जो घना न हो । विरल । उ॰—इस तेरौ छिदरी छाया में दो बँधे हुए मन देखे हैं । —दीप ज॰, पृ॰ १४९ ।

२. झँझरीदार । छेददार ।

३. फटा हुआ । जर्जर ।

छिदरा ^२ वि॰ [सं॰ क्षुद्र] ओछा ।

छिदरा ।

२. जो दूर दूर पर हो । जो घना न हो । बिरल । उ॰—ताल कई समचइ घूँघरी । माँहिली माँड़ली छीदा होइ ।—बी॰ रासो, पृ॰ ५ ।