जंतर

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

जंतर संज्ञा पुं॰ [सं॰ यन्त्र, प्रा॰ र्जत्र]

१. कल । औजार । यंत्र ।

२. तांत्रिक यंत्र । यौ॰—जंतर मंतर ।

३. चौकोर या लंबी ताबीज जिसमें तांत्रिक यंत्र या कोइ टोटके की वस्तु रहती है । इसे लोग अपनी रक्षा या सिद्धि के लिये पहनते हैं । उ॰—जंतर टोना मूड़ हिलावन ता कूँ साँच न मानो ।—चरण॰ बानी, पृ॰ १११ ।

५. गले में पहनने का एक गहना जिसमें चाँदीं या सोने के चौकोर या लंबे टुकड़े पाट में गुंथे होते हैं । कठुला । तावीज ।

५. यंत्र जिससे वेद्य या रासायानिक तेल या आसव आदि तैयार करते हैं ।

६. जंतर मंतर । मानमंदिर । आकाशलोचन । †

७. पत्थर, मिट्टी आदि का बड़ा ढोंका ।

८. वीणा । बीन नामक बाजा ।

जंतर मंतर संज्ञा पुं॰ [हिं॰ यन्त्र + मन्त्र]

१. यंत्र मंत्र । टोना टोटका । जादू टोना ।

२. आकाशलोचन । मानमंदिर जहाँ ज्योतिषी नक्षत्रों की स्यिति, गति आदि का निरीक्षण करते हैं ।