जकना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

जकना पु क्रि॰ अ॰ [हिं॰ छक या चकपकाना अथवा देश॰] [वि॰ जकित] अचंभे में आना । भैंचक्का । होना । चकपकाना । उ॰—(क) तकि तकि चहूँ ओर जकि सी रही थकि, बकि बकि उठै छकि छैल की लगन में ।—दीनदयालु (शब्द॰) । (ख) तरु दोउ धरनि गिरे भहराइ ।......कोउ रहे आकाश देखत, कोउ रहे सिर नाइ । घरिक लों जकि रहे तहँ तहँ देह गति बिसराइ ।—सूर॰, १० ।३८७ । (ग) दूत दबकाने, चित्रगुप्त हू चकाने औ जकाने जमलाल पापपुंज लुंज त्वै गए ।—पद्माकर ग्रं॰, पृ॰ २५९ ।