जनी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

जनी ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ जन]

१. दासी । सेविका । अनुचरी । उ॰— धाइ, जनी, नाइन, नटी प्रगट परोसिनि नारि ।—केशव ग्रं॰, भा॰ १, पृ॰ ६८ ।

२. स्त्री ।

३. उत्पन्न करनेवाली । माता ।

४. जन्माई हुई । कन्या । लड़की । पुत्री । उ॰—प्यारी छबि की रासि बनी । जाहि विलोकि निमेष न लागत श्री वृषभानु जनी ।—भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ ४५ ।

जनी ^३ वि॰ स्त्री॰ उत्पन्न की हुई । पैदा की हुई । जनमाई हुई ।

जनी ^३ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ जननी] एक प्रकार की ओषधि जिसे पर्पटी या पानड़ी भी कहते हैं । विशेष—यह शीतल, वर्णकारक, कसैली, कड़वी, हलकी, अग्नि- दीपक, रुचिकारक तथा रक्त, पित्त, कफ, रुधिरविकार, कोढ़, दाह, वमन, तृषा, विष, खुजली और व्रण का नाश करनेवाली कही गई है ।