जागर

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

जागर संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. जागरण । जाग । जागने की क्रिया । उ॰—सुनि हरिदास यहै जिय जानौ सुपने को सो जागर ।—हरिदास (शब्द॰) ।

२. कवच । अंगत्राण । जिरह बख्तर ।

३. अंत:करण की वह अवस्था जिसमें उसी सब वृत्तियाँ (मन; बुद्धि, अहंकार आदि) प्रकाशित या जाग्रत हों ।