जार
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]जार ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰] वह पुरुष जिसके साथ किसी दूसरे की विवाहिता स्त्री का प्रेम या अनुचित संबंध हो । उपपति । पराई स्त्री से प्रेम करनेवाला पुरुष । यार आशना ।
जार ^२ वि॰ मारनेवाला । नाश करनेवाला ।
जार ^३ संज्ञा पुं॰ [लै॰ सीजर] रूस के सम्राट् की उपाधि ।
जार ^४पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ जाल] दे॰ 'जाल' । उ॰—कहहिं कबीर पुकारि के, सबका उहे विचार । कहा हमार मानै नहिं, किमि छूटै भ्रम जार ।—कबीर बी॰, पृ॰ १९५ ।
जार ^५ संज्ञा पुं॰ [फा़॰ जार] स्थान । जगह [को॰] ।
जार ^६ संज्ञा पुं॰ [अ॰] अँचार आदि रखने का मिट्टी, चीनी मिट्टी या शीशे का बर्तन ।