जाला

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

जाला ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ जाल]

१. मकडी़ का बुना हुआ बहुत पतले तारों का वह जाल जिसमें वह अपने खाने के लिये मक्खियों और दूसरे कीड़ों मकोड़ों आदि को फँसाती है । वि॰ दे॰ 'मकडी़' । विशेष—इस प्रकार के जाले बहुधा गंदे मकानों की दावारों और छतों आदि पर लगे रहते हैं ।

२. आँख का रोग जिसमें पुतली के ऊपर एक सफेद परदा या झिल्ली सी पड़ जाती है और जिसके कारण कुछ कम दिखाई पड़ता है । विशेष—यह रोग प्रायः कुछ विशेष प्रकार के मैल आदि के जमने के कारण होता है, और ज्यों ज्यों झिल्ली मोटी होती जाती है, त्यों त्यों रोगी की दृष्टि नष्ट होती जाती है । झिल्ली अधिक मोटी होने के कारण जब यह रोग बढ़ जाता है, तब इसे माडा़ कहते हैं ।

३. सूत या सन आदि का बना हुआ वह जाल जिसमें घास भूसा आदि पदार्थ बाँधे जाते हैं ।

४. एक प्रकार का सरपत जिससे चीनी साफ की जाती है ।

५. पानी रखने का मिट्टी का बडा़ बरतन ।

६. दे॰ 'जाल' ।

जाला पु ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ ज्वाला]दे॰ 'ज्वाला' । उ॰—इक मुख्ख अग्गि जाला उठंत, इक परह देह बरिखा उठंत ।—पृ॰ रा॰, ६ ।४५ ।