जूठा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

जूठा ^१ वि॰ [सं॰ जुष्ट, प्रा॰ जुट्ठ] [वि॰ स्त्री॰ ' जूठी' । क्रि॰ जुठारना]

१. (भोजन) जिसे किसी ने खाया हो । जिसमें किसी ने खाने के लिये मुँह लगाया हो । किसी के खाने से बचा हुआ । उच्छिष्ट । जैसे,— जूटा अन्न, जूठा भात, जूठी पत्तल । उ॰— विनती राय प्रवीन की, सुनिए साह सुजान । जूठी पातारि भखथ हैं बारी, बायस स्वान ।—(शब्द॰) । विशेष— हिंदु आचार के अनुसार जूठा भोजन खाना निषिद्ध है ।

२. जिसका स्पर्श मुँह अथवा किसी जूठे पदार्थ से हुआ हो । जैसे, जूठा हाथ, जूठा बरतन । मुहा॰— जूठे हाथ से कुत्ता न मारना = बहुत अधिक कंजूस होना ।

३. जिसे किसी ने व्यवहार करके दूसरे के व्यवहार के अयोग्य कर दिया हो । जिसे किसी ने अपवित्र कर दिया हो । जैसे, जुठी स्त्री ।

जूठा ^२ संज्ञा पुं॰ खाने पीने की वह वस्तु जिसे किसी ने खाकर छोड़ दिया हो । वह भोजन जिसमें से कुछ किसी ने मुँह लगाकर खाया हो । किसी के आगे के बचा हुआ भोजन । जूठन । उच्छिष्ट भोजन । क्रि॰ प्र॰—खाना ।—चाटना ।