झक

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

झक ^१ संज्ञा स्त्री॰ [अनु॰]

१. कोई काम करने की ऐसी धुन जिसमें आगा पीछा या भला बुरा न सूझे ।

२. धुन । सनक । लहर । मौज । क्रि॰ प्र॰—चढ़ना ।—लगना ।—समाना ।—सवार होना ।

३. आँच । ताप । ज्वाला । उ॰— मात्रा के झक जग जरै, कनक कामिनी लागि । कह कबीर कस बचिहै, रुई लपेटी आगि ।— संतवानी॰, पृ॰ ५७ ।

४. झींका । झमक । झाक । क्रि॰ प्र॰—आना ।

झक ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ झख]दे॰ 'झख' ।

झक ^३ वि॰ चमकीला । साफ । ओपदार । जैसे, सफेद झक ।