झख

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

झख ^१ संज्ञा स्त्री॰ [हि॰ झोखना] झींखने का भाव या क्रिया । मुहा॰—झख मारना = (१) व्यर्थ समय नष्ट करना । वक्त खराब कमना । जैसे,—आप सबेरे से यहाँ बैठे हुए झख मार रहे हैं । (२) अपनी मिट्टी खराब करना । (३) विवश होकर बुरी तरह झीखना । लाचार होकर खूब कुढ़ना । जैसे,— (क) तुम्हें झख मारकर यह काम करना होगा । (ख) झख मारो और वहीं जाओ । उ॰—नीर पियावत का फिरै घर घर सायर वारि । तृषावंत जो होइगा पीवैगा झख मारि ।— कबीर सा॰ सं॰, भा॰ १, पृ॰ १५ ।

झख ^२पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ झष] मत्स्य । मछली । उ॰—अँखिन तै आँसू उमड़ि परत कुचन पर आन । जनु गिरीस के सीस पर ढारत झख मुकतान ।—पद्माकर ग्रं॰, पृ॰ १७० । यौ॰—झखकेतु । झखनिकेत । झखराज । झखलग्न ।