झखना

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

झखना पु † क्रि॰ अ॰ [प्रा॰ जक्खण]दे॰ 'झीखना' । उ॰— (क) बाबा नंद झखत केहि कारण यह कहि मया मोह अरुझाय । सूरदास प्रभु मातु पिता को तुरताहि दुख डारयो बिसराय ।—सूर (शब्द॰) । (ख) पुनि धांइ धरी हरि जू की भुजान तैं छूटिबे को बहु भाँति झखी री ।—केशव (शब्द॰) । (ग) कवि हरिजन मेरे उर बनमाल तेरे बिन गुन माल रेख सेख देखि झखियाँ ।—हरिजन (शब्द॰) ।