झगरो

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

झगरो † संज्ञा पुं॰ [हि॰]दे॰ 'झगड़ा' । उ॰—(क) और जो वा समय प्रभुन को मुरारीदास वह वस्तू न देते तब भी श्री बालकृष्ण जी प्राकृतिक बालक की नाई झगरो मुरारी— दास सों करते ।—दो सौ बावन॰, भा॰ १, पृ॰ १०० । (ख) तहँ तुम सुनहु बड़ा धन तुम्हारौ । एक मोक्षता पर सब झगरौ—नंद॰ ग्रं॰, यृ॰ २७३ ।