झल

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

झल संज्ञा पुं॰ [हिं॰ झार, सं॰ झल (= ताप, चिलचिलाती धूप) । अथवा सं॰ ज्वल्, प्रा॰ झल]

१. दाह । जलन । आँच ।

२. उग्र कामना । किसी विषय की उत्कट इच्छा । उ॰—(क) जीव विलंबा जीव सो अलख लख्यो नहिं जाय । साहब निलै न झल बुझै रहो बुझाय बुझाय ।—कबीर (शब्द॰) । (ख) झल पीछे बायें झल दाहिने झल ही में व्यवहार । आगे पीछे झल जलै राखै सिरजनहार ।—कबीर (शब्द॰) ।

३. काम की इच्छा । विषय या संभोग की कामना ।

४. क्रोध । गुस्सा । रिस ।

५. समूह । उ॰—पुनि आए सरजू सरित तीर ।...कछु आपु न अध अध गति चलंति । झल पतितन को ऊरध फलंति ।—केशव (शब्द॰) ।