टोल

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

टोल ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ तोलिका ( = गढ़ के चारों ओर का घेरा, बाडा़)]

१. मंडली । समूह । जत्था । झुँड । उ॰—(क) अपने अपने टोल कहत ब्रजवासी आई । भाव भक्ति लै चलौ सुदंपति आसी आई ।—सूर (शब्द॰) । (ख) टुनिहाई सब टोल में रही जु सौत कहाय । सुतौ ऐंचि तिय आप त्यों करी अदोखिल आय ।—बिहारी (शब्द॰) । यौ॰—टोल मटोल = झुंड के झुंड ।

२. मुहल्ला । बस्ती । टोला । उ॰—आजु भोर तमचुर के रोल । गोकुल मैं आनंद होत है, मंगल धुनि महराने टोल ।—सूर॰, १० ।९४ ।

३. चटसार । पाठशाला ।

टोल ^२ संज्ञा पुं॰ [देश॰] संपूर्ण जाति का एक राग जिसमें सब शुद्ध स्वर लगते हैं । इसके गाने का समय २५ दंड से २८ दंड तक है ।

टोल ^३ संज्ञा पुं॰ [अं॰ टाल] सड़क का महसूल । मार्ग का कर । चुंगी । यौ॰—टोल कलेक्टर = कर लेनेवाला । महसूल वसूल करनेवाला ।