डंबर

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

डंबर संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. आयोजन । आडंबर । ढकोसला । धूम— घाम ।

२. विस्तार । उ॰—उड्डि रेन डंबर अमर, दिष्यौ सेन चहुआन ।—पृ॰ रा॰, ९ । १३० ।

३. समूह । उ॰—कुवा बावड़ियूँ के डंबर, बाड़ी बागू के आडंबर ।—रघु॰ रू॰, पु॰ २३७ ।

४. विलास ।

५. एक प्रकार का चँदोवा । चदरछत । यौ॰—मेघडंबर = बड़ा शामियाना । दलबादल । अंबर डंबर = वह लाली जो संव्या के समय आकाश में दिखाई पड़ती है । उ॰—विनसत बार न लागई, ओछे जन के प्रीति । अंबर डंबर साँझ के ज्यों बारू की भीति ।—सं॰ सप्तक, पृ॰, ३१२ ।