डाँड़

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

डाँड़ संज्ञा पुं॰ [सं॰ दण्ड, प्रा॰ डंड]

१. सिधी लकड़ी । डंडा ।

२. गदका । उ॰—सीखत चटकी डाँड़ विविध लकड़ी के दाँवन ।—प्रेमघन॰, भा॰ १, पृ॰ २८ । यौ॰—डाँड़ पटा = (१) फरी गतका । (२) गतके का खेल ।

३. नाव खेने का लंबा बल्ला या डंडा । चप्पू । क्रि॰ प्र॰—खेना ।—चलाना ।—मारना ।—भरना ।—(लश॰) ।

४. अंकुश का हत्था ।

५. जुलाहों की वह पोली लकड़ी जिससे ऊरी फँसाई रहती है । †

६. सीधी लकीर ।

७. रीढ़ की हड्डी ।

८. ऊँची उठी हुई तंग जमीन जो दुर तक लकीर की तरह चली गई हो । ऊँची मेंड़ । मुहा॰—डाँड़ मारना = मेड़ उठाना ।

९. रोक, आड़ आदि के लिये उठाई हुई कम ऊँची दीवार ।

१०. ऊँचा स्थान । छोटा भीटा या टीला । उ॰—सो कर लै पंडा छिति गाड़े । उपज्यो द्रुत द्रुम इक तेहि डाँड़े ।—रघुराज (शब्द॰) ।

११. दो खेतों के बीच की सीमा पर की कुछ ऊँची जमीन जो कुछ दुर तक लकीर की तरह गई हो और जिसपर लोग आते जाते हों । मेंड़ । क्रि॰ प्र॰—डाँड़ मारना = मेंड बनाना । सीमा या हदबंदी करना । यौ॰—डाँड़ मैंड़ = दे॰ 'डाड़ामेड़' ।

१२. समुद्र का ढालुआँ रेतीला किनारा ।

१३. सीमा । हद । जैसे, गावँ का डाँड़ा ।

१४. वह मैदान जिसमें का जंगल कट गया हो ।

१५. अर्थदंड । किसी अपराध के कारण अपराधी से लिया जानेवाला धन । जुरमाना । क्रि॰ प्र॰—लगाना ।

१६. वह वस्तु या धन जिसे कोई मनु्ष्य दूसरे से अपनी किसी वस्तु के नष्ट हो जाने या खो जाने पर ले । नुकसान का बदला । हरजाना । क्रि॰ प्र॰—देना ।—लेना ।

१७. लंबाई नापने का मान । कट्ठा । बाँस ।