डिङ्गर

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

डिंगर ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ टिङ्गर ]

१. मोटा आदमी । मोटासा ।

२. दुष्ट ।

डिंगर ^२ संज्ञा पुं॰ [देश॰] वह काठ जो नटखठ चौपायों के गले में बाँध दिया जाता है । ठिंगुरा । उ॰— कबिरा माला काठ की पहिरी मुगद डुलाय । सुमिरन की सुध है नहीं ज्यों डिंगर बाँधी गाय ।— कबीर (शब्द॰) ।