ढंक संज्ञा पुं॰ [सं॰ आषाढक, हिं॰ ढाक] पलास या छिडल की एक किस्म । उ॰—जरी सो धरती ठाँवहि ठाँवाँ । ढंक परास जरे तेहि ठाँवाँ ।—पदमावत, पृ॰ ३७ ।