ढरना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

ढरना पु क्रि॰ अ॰ [हिं॰ ढलना]

१. दे॰ 'ढलना' ।

२. बहना । प्रवाहित होना । उ॰— (क) मलिन कुसुम तनु चीरे, करतल कमल नयन ढर नीरे ।— विद्यापति, पृ॰ ५५४ । (ख) ऊपर तै दधि दूध, सीसन गागरि गन ढरै ।— नंद॰ ग्रं॰, पृ॰ ३३४ ।