तंबोल
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
तंबोल संज्ञा पुं॰ [सं॰ ताम्बूल]
१. दे॰ 'तांबू' । और 'तमोल' । उ॰— अपु सरूप सजि झग्गरहिं ऐकु तल अरु तेल्लु ।——अकबरी॰, पृ॰ ३१२ ।
२. एक प्रकार का पेड़ जिसके पत्ते लिसोडे़ के पत्तों से मिलते जुलते होते हैं ।
३. वह धन जो बरात के समय वर को दिया जाता है । (पंजाब) ।
४. वह धन जो विवाह या बरात के /?/ ते के साथ मार्ग- व्यय के लिये भेजा जाता है । (वुंड वंड) ।
५. वह खून जो लगाम की रगड़ के कारण घोडे़ के मुँह से निकलता है । (साईस) । क्रि॰ प्र॰—आना ।