तड़ाग

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तड़ाग

हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

तड़ाग संज्ञा पुं॰ [सं॰ तडाग]

१. तालाब । सरोवर । ताल । पुष्कर । पोखरा । पद्मादियुक्त सर । उ॰—(क) भरतु हंस रबि बंस तड़ागा । जनमि कीन्ह गुन दोष विभागा ।—मानस, ३ ।२३१ । (ख) अनुराग तड़ाग में भानु उदै बिगसीं मनो मंजुल कंजकली ।—तुलसी ग्रं॰, पृ॰ १६७ । विशेष—प्राचीनों के अनुसार तड़ाग पाँच सौ धनुष लंबा, चौड़ा और खूब गहरा होना चाहिए । उसमें कमल आदि भी होने चाहिए ।