तबेली पु क्रि॰ अ॰ [फा़॰ ताब (=ताप)+ हिं॰ एली (प्रत्य॰)] छटपटाना । तालाबेली । उ॰—कहा करौ कैसें मन समझाऊँ व्याकुल जियरा धीर न धरत लागियै रहति तबेली ।—घनानंद, पृ॰ ४८० ।