तामस

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प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

तामस ^१ वि॰ [सं॰] [ वि॰ स्त्री॰ तामसी]

१. जिसमें प्रकृति के उस गुण की प्रधानता हो जिसके अनुसार जीव क्रोध आदि नीच वृत्तियों के वशीभूत होकर आचरण करता है । तमोगुण युक्त । उ॰— (क) होइ भजन नहिं तामस देहा ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) विप्र साप तें दूनउँ भाई । तामस असुर देह तिन पाई ।— तुलसी (शब्द॰) । विशेष— पद्मपुराण में कुछ शास्त्र, तामस बतलाए गए हैं । कणाद का वैशेषिक, गौतम का न्याय, कपिल का सांख्य, जैमिनि की मीमांसा, इन सब की गणना उक्त पुराण के अनुसार तामस शास्त्रों में की गई है । इसी प्रकार बृहस्पति का चार्वाक दर्शन, शाक्य मुनि का बौद्ध शास्त्र, शंकर का वेदांत इत्यादि तत्वज्ञान संबंधी ग्रंथ भी सांप्रदायिक दृष्टि से तामस माने जाते हैं । पुराणों में मत्स्य, कूर्म, लिंग, शिव, अग्नि और स्कंद ये छह तामस पुराण कहे गए हैं । सामुद्र, शंख, यम, औशनस आदि कुछ स्मृतियों तथा जैमिनि, कणाद, बृहस्पति, जमदग्नि, शुक्राचार्य आदि कुछ मुनियों को भी तामस कह डाला है । इसी प्रकार प्रकृति के तीनों गुणों के अनुसार अनेक वस्तुओं और व्यापारों के विभाग किए गए हैं । निद्रा, आलस्य, प्रभाव आदि से उत्पन्न सुख को तामस सुख; पुरोहिताई, असत्प्रति , ग्रह, पशुहिंसा, लोभ, मोह, अहंकार आदि को तामस कर्म कहा है । विष्णु सत्वगुणमय, ब्रह्मा रजोगुणमय और शिव तमोगुणमय माने जाते हैं । उ॰— ब्रह्मा राजस गुण अधिकारी शिव तामस अधिकारी ।—सूर (शब्द॰) ।

२. अंधकार युक्त । अंधकारमय (को॰) ।

३. तमस् से प्रभावित या संबद्ध (को॰) ।

४. यज्ञ (को॰) ।

५. दुष्ट । कुटिल (को॰) ।

तामस ^२ संज्ञा पुं॰

१. सर्प । साँप ।

२. खल ।

३. उल्लू ।

४. क्रोध । गुस्सा । चिढ़ । उ॰— कहु तोकों कैसे आवत है शिशु पै तामस एत ? —सूर (शब्द॰) ।

५. अंधकरा । अँधेरा । उ॰— तू मरु कूप छलीक सून हिय तामस वासा ।—दीनदयाल (शब्द॰) ।

६. अज्ञान । मोह ।

७. चौथे मनु का नाम ।

८. एक अस्त्र का नाम —(वाल्मीकि रामायण) ।

९. तेंतीस प्रकार के केतु जो सूर्य और चंद्रमा के भीतर दृष्टिगोचर होते हैं । -(बृहत्संहिता) । वि॰ दे॰ 'तामसकीलक' ।

१०. तमोगुण । उ॰— झूठा है संसार तो तामस परिहरी ।— धरम॰, पृ॰ ४० ।

११. राहु का एक पुत्र (को॰) ।

१२. अंधकरा (को॰) ।

१३. वह घोड़ा जिसमें तमोगुण हो (को॰) ।