तिरछी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

तिरछी ^१ वि॰ स्त्री॰ [हिं॰ तिरछा] दे॰ 'तिरछा' ।

तिरछी ^२ संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] अरहर के वे अपरिपक्व दाने जिनकी दाल नहीं बन सकती । इनको अलगाने के बाद चूनी बनाकर रोटी बनाते हैं या जानवरों को खिला देते हैं ।

तिरछी बैठक संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ तिरछी + बैठक] मालखंभ की एक कसरत जिसमें दोनों पैर रस्सी की ऐंठन की तरह परस्पर गुथकर ऊपर उठते हैं ।