तोड़ा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

तोड़ा ^१ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ तोड़ना]

१. सोने चाँदी आदि की लच्छेदार और चौड़ी जंजीर या सिकड़ी जिसका व्यवहार आभूषण की तरह पहनने में होता है । विशेष—आभूषण के रूप में बना हुआ तोड़ा कई आकार और प्रकार का होता है, और पैरों, हाथों या गले में पहना जाता है । कभी कभी सिपाही लोग अपनी पगड़ी के ऊपर चारों ओर भी तोड़ा लपेट लेते हैं ।

२. रुपए रखने की टाट आदि की थैली जिसमें १०००) रु॰ आते हैं । विशेष—बड़ी थैली भी जिसमें २०००) रु॰ आते हैं, 'तोड़ा' ही कहलाती है । मुहा॰—(किसी के आगे) तोड़े उलटना या गिनना = (किसी को) सैकड़ों, हजारों रुपए देना । बहुत सा द्रव्य देया ।

३. नदी का किनारा । तट ।

४. वह मैदान जो नदी के संगम आदि पर बालू, मिट्टी जमा होने के कारण बन जाता है । क्रि॰ प्र॰—पड़ना ।

५. घाटा । घटी । कमी । टोटा । उ॰—तो लाला के लिये दूध का तोड़ा थोड़ा ही है ।—मान॰, भा॰ ५, पृ॰ १०२ । क्रि॰ प्र॰—आना ।—पड़ना ।

६. रस्सी आदि का टुकड़ा ।

७. उतना नाच जितना एक बार में नाचा जाय । नाच का एक टुकड़ा ।

८. हल की वह लंबी लकड़ी जिसके आगे जूआ लगा होता है । हरिस ।

तोड़ा ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ तुण्ड या टोंटा] नारियल की जटा की वह रस्सी जिसके ऊपर सूत बुना रहता था और जिसकी सहायता से पुरानी चाल की तोड़दार बंदूक छोड़ी जाती थी । फलीता । पलीता । उ॰—तोड़ा सुलगत चढ़े रहैं घोड़ा बंदूकन ।— भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ १, पृ॰ ५२४ । यौ॰—तोड़ेदार बंदूक = वह बंदूक जो तोड़ा या फलीता दागकर छोड़ी जाय । आजकल इस प्रकार की बंदूक का व्यवहार उठ गया है । दे॰'बंदूक' ।

तोड़ा ^३ संज्ञा पुं॰ [देश॰]

१. मिसरी की तरह की बहुत साफ की हुई चीनी जिससे ओला बनाते हैं । कंद ।

२. वह लोहा जिसे चकमक पर मारने से आग निकलती है ।

३. वह भैंस जिसने अभी तक तीन से अधिक बार बच्चा न दिया हो । तीन बार तक ब्याई हुई भैंस ।