त्रिजातक

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

त्रिजातक संज्ञा पुं॰ [सं॰] इलायची (फल), दारचीनी (छाल) और तेजपत्ता (पत्ता) इन तीन पर्कार के पदार्थों का समूह जिसे त्रिसुगंधि भी कहते हैं । यदि इसमें नागकेसर भी मिला दिया जाय तो इसे चतुर्जातक कहेंगे । विशेष—वैद्यक में इसे रेचक, रूखा, तीक्ष्ण, उष्णवीर्य, मुँह की दुर्गंध दूर करनेवाला, हलका, पित्तवर्धक, दीपक तथा वायु और विषनाशक माना है ।